Vice chairperson
Dr. Anupama Upadhyay
आओ, मेरे प्यारे बच्चों,
हम सब एक ऐसा संसार रचें, जिसमें प्रेम हो, सम्मान हो, ज्ञान हो, समर्पण हो और भक्ति की भावना हो। प्रेम इसलिए जरुरी है क्योंकि हम एक-दूसरे को महसूस ही उसी से करते हैं, उसी भाव में करते हैं। प्रेम नहीं है तो महसूस नहीं कर सकते ।
सम्मान … एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान बहुत जरूरी है कि हम आपको समझें कि आप जीवन में कौन सी चीज कैसे और क्यों करना चाहते हैं और आप हमें समझें कि हम कौन सी चीज, किस बात को, कैसे करवाना चाहते हैं और उसके फायदे क्या हैं? हम मिलकर तय करेंगे, दुनिया में हमें करना क्या है ?
हम आपके शिक्षक हैं। आपके लिए शिक्षा का माहौल बनाते हैं। उस माहौल में आपसी तारतम्यता बहुत जरुरी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि हमें अनुभव आपसे ज्यादा है, लेकिन उस अनुभव को अपने नजरिये से देखने की क्षमता आपमें ज्यादा है क्योंकि आपका मन और मस्तिष्क दोनों अभी विशुद्ध हैं, बिल्कुल शुद्ध हैं, कोई कचरा नहीं है वहाँ। कचरा इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ज्यादातर चीजें जीवन में जो मिलती हैं वो कठिन परिश्रम एवं मुश्किल हालातों में मिलती हैं, तो उस दौर में हुए अनुभव एक कचरे के तौर पर ही इंसान के दिमाग में इकट्ठा होते हैं। बहुत कम लोग उस अनुभव को सुंदरता से सकारात्मक सोच के साथ सहेज पाते हैं। तो हमें यह भी सीखना होगा कि उसे कचरे की तरह न इकट्ठा करें बल्कि अनुभव की तरह इकट्ठा करें और ‘अनुभव’, वो भी सकारात्मक कि जब हम उसकी शिक्षा किसी से बाँटें तो उसके किसी नकारात्मक पहलू से न शुरू करें। बल्कि उसके सकारात्मक पहलू से शुरू करें। सावधानी के तौर पर नकारात्मक पहलू बताएं। ये हमने कर लिया तो ज्ञान, समर्पण, भक्ति खुद ब खुद जुड़ जाते हैं क्योंकि प्रेम और सम्मान ही इनकी उर्वरा शक्ति है।
आओ मेरे प्यारे बच्चों हम मिलकर ऐसा संसार रचें, जहाँ हम सब की भावनाओं को सम्मानजनक माहौल मिले और उसमें हम मिलकर सृजनात्मक, सकारात्मक दुनिया रच सकें; अध्ययन के लिए, जीवन के लिए, समाज के लिए, देश के लिए भी… आओ मेरे प्यारे बच्चों